नई दिल्ली। न तो नितिन गडकरी और न ही राजनाथ सिंह को इसका अहसास था कि सब कुछ इतनी जल्दी बदल जाएगा। सुबह पूर्ति ग्रुप पर आयकर के छापे शुरू हुए तो भाजपा में जरूर खलबली थी, लेकिन गडकरी को दोबारा अध्यक्ष चुने जाने का भरोसा था। वहीं, अपने संसदीय क्षेत्र गाजियाबाद जाने के लिए तैयार बैठे राजनाथ को इसका अहसास तब हुआ, जब उन्हें संदेश दिया गया कि घर पर ही रहें और खुद को खाली रखें।
संघ के प्रभावी हस्तक्षेप के बाद गडकरी को स्वीकार करने के लिए तैयार हो चली भाजपा में मंगलवार की सुबह से ही बदलाव की पटकथा लिखी जाने लगी थी। आयकर के छापे शुरू हुए तो शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी ने फिर से संघ नेताओं को स्पष्ट कर दिया कि गडकरी स्वीकार्य नहीं हैं। दरअसल, उसी वक्त से बदलाव की कवायद शुरू हो गई थी।
मुंबई में भी आडवाणी ने संघ नेता भैयाजी जोशी को स्पष्ट कर दिया था। जबकि लगभग उसी समय दिल्ली में सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, वेंकैया नायडू, रामलाल और अनंत कुमार ने विकल्प पर चर्चा की। सूत्रों का कहना है कि इस बीच मुंबई और दिल्ली में बैठे नेता एक दूसरे से विमर्श भी करते रहे।
बताते हैं कि एक नाम वेंकैया नायडू का भी आया लेकिन संघ को राजनाथ ज्यादा भाए। खुद गडकरी ने भी राजनाथ के नाम पर अपनी सहमति जताई। संघ ने गडकरी को निर्देश दिया कि अपनी ओर से यह भी स्पष्ट कर दें कि आरोपों से पूरी तरह मुक्त हुए बिना इस पद के लिए नहीं लड़ेंगे।
दूसरी तरफ, गडकरी की अध्यक्षता का विरोध कर रहे यशवंत सिन्हा ने भी नामांकन प्रपत्र और वोटरों की सूची मंगाकर इसका इजहार कर दिया था कि गडकरी लड़े तो भाजपा का इतिहास टूटेगा। दरअसल, अब तक भाजपा में किसी राष्ट्रीय अध्यक्ष को चुनाव नहीं लड़ना पड़ा है।
सूत्र बताते हैं कि यूं तो आरोपों में घिरे गडकरी के विकल्प की तलाश पिछले दो-तीन दिनों से चल रही थी। लेकिन आयकर के छापे ने उसे गति दे दी। फैसला होने के बाद संगठन मंत्री रामलाल और अनंत कुमार राजनाथ के घर गए और लंबी बैठक की। यह तय किया गया कि सुबह 9:00 बजे संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाकर इसे औपचारिक रूप दे दिया जाए।
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